शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

Vandalism of JainIdols: Mega Protest Rally by Jains in Mumbai on Sunday 2nd Sept 2012


Entire Jain Samaj of Greater Mumbai is organising a Mega Protest Bike Rally on Sunday, 2nd Septmeber 2012 to protest against vandalism of idols of Lord Adinath and Lord Mahavira in Allur (Gulbarg-Karnataka) and Lucknow (U.P.).
This Bike rally will start at 8:30 am from SVP Ground, Pancholiya College, opp. Shri Munisuvrat Swami Jain Derasar, Bhulabhai Desai Marg, Kandiwali (West), Mumbai and will march from there to Malad, Goregaon, Jogeshwari, Andheri and will end at Mahatma Gandhi Smaarak, Juhu Chaupati, Mumbai. Thereafter Prominent Jainacharayas & Jain Munis including Ganivarya Acharya Shri Labdhichandrasagarji Maharaj, Muni Shri Devprabhsagarji Maharaj, Munishri Viragsagarji Maharaj, Munishri Vinamra Sagarji Maharaj will address the gathering at 11:30 am at Juhu Chaupati.
Organizers have informed to Ahimsa Sangh that this is historical rally in various ways because it is a coordinated effort of all the four sects of Jainism i.e. Digambar, Shwetambar, Terapanthi & Sthankavasi. 10000 Jains are expected to join this rally and 5000 vehicles will Chakkajam on SV Road.
Those who wants to join this movement can bring in their Cycle, Bike, Scooter or Car etc.
Ahimsa Sangh Requests all Jain Sanghs & Jain Trusts in Mumbai to publicize this event on grand level and ensure their Mandir’s/Trust’s representation in the rally.
Pl fwd this msg via sms/email or Facebook wall and occupy social media by talking on topic #JainIdols and #JainProtests and make it top trending subject.
Regards,
Editor, Ahimsa Sangh
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शनिवार, 25 अगस्त 2012

प्रतिमा का खंडन: दिल्ली में तीव्र विरोध प्रदर्शन


प्रतिमा का खंडन: दिल्ली में तीव्र विरोध प्रदर्शन
२३ अगस्त २०१२
नईदिल्ली। आज विश्व जैन संगठन के जुझारू और धर्मपरायण अध्यक्ष श्री संजय जैन की अगुवाई में दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पे लखनऊ में १७ अगस्त २०१२ को भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा तोड़े जाने के  विरोध में आयोजित विशाल धरना प्रदर्शन में हजारों की संख्या में जैन धर्मालंबियों ने उपस्थित होकर अपना तीव्र विरोध दर्ज करवाया । जंतर मंतर पर 7000 लोगों की उपस्थिति के बीच हमारी जैनशक्ति का विशाल स्वरूप देखने को मिला। इस विरोध सभा में दिगम्बर, श्वेताम्बर, तेरापंथी, स्थानकवासी जैन समाज ने एक साथ जैन एकता का परिचय दिया। इस धरने के साथ पूरे देश में लगभग 170 जगहों पर जैन समाज ने धरना दिया।
धरना प्रदर्शन के लिए सुबह से ही हजारों जैनों का हुजूम जंतर मंतर की तरफ बढ़ रहा था। लोगो के चेहरों पर उक्त घटना के प्रति आक्रोश साफ़ देखा जा सकता था। हजारो की संख्या एकत्र हुए लोगों में बच्चे, बूढ़े और महिलाएँ भी सम्मिलित थी। युवा जैन हाथों में धर्मध्वजा थामे थे और जैन धर्म की जय’ ‘भगवान महावीर की जयकार’ ‘उत्तरप्रदेश सरकार हाय हाय’ के नारे लगा रहे थे।
धरने से पहले रोहणी के सेक्टर पांच में आयोजित धर्मसभा में श्रावकों को विश्वमैत्री दिवस के अवसर पर संबोधित करते मुनि श्री पुलक सागर जि महाराज ने कहा “जो धर्म के मार्ग पर चलता है वह तोड़ने में नहीं जोड़ने पर विश्वास रखता है। हमारे अंदर किसी धर्म विशेष से द्वेष की भावना नहीं है, पर हमारे धर्मायतनों पर हमला हमें असहनीय है, हमें तो सरकार की चुप्पी कचोटती है और ऐसा लगता है कि इस घटना के पीछे कोई राजनैतिक साजिश है जो देश की एकता को अखंडता को नष्ट करना चाहते है।
उन्होंने कहा कि मैं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पूछना चाहता हूँ कि अगर तुम्हारे पिता का हाथ टूटा होता तो क्या तुम चुप बैठते? नहीं ना! लखनऊ में केवल पत्थर की मूर्ति नहीं अपितु हमारे पिता, हमारे जनक भगवान महावीर स्वामी जिनकी हम पूजा करते है उनकी मूर्ति को तोड़ने का दुस्साहस जालिमों ने किया है। उन्होंने कहा कि खंडित मूर्ति की जगह सरकार द्वारा दूसरी मूर्ति लगा देने की मांग नहीं करता, जैन समाज स्वयं इतना सक्षम है कि वह कई मूर्तियां स्थापित कर सकता है।
हमारी माँग है कि हमारे तीर्थो की, हमारी मूर्तियों की रक्षा होनी चाहिए। भविष्य मे इस प्रकार की घटनाएं दोबारा ना हो इस बात का आश्वासन हमें चाहिए। सरकार को कठोर कदम उठाकर दोषियों को गिरफ्तार कर दंड देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम कोई अशांति नहीं फैलाएँगे, हम कोई हिंसा करने वाले नहीं, हम तो वो लोग हैं जब उठती है तो तलवार नहीं, करूणा की मयूर पिच्छी उठती है। लेकिन याद रखना कभी हमारे धर्मायतन पर आंच आती है तो हमारा समाज किसी के शीश नहीं काटता है अपितु अकलंक- निकलंक बनकर शीश कटाकर धर्म की रक्षा करता है। हमारी अहिंसा को कायरता ना समझा जाये। हमारी अहिंसा वीरो की अहिंसा होती है। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन तब तक रहेगा जब तक सरकार कोई ना कोई आधिकारिक वक्तव्य जारी ना कर दे। पूरे हिन्दुस्तान की भावनाएं आहत हुई है।
उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हम ऐसा कोई कार्य ना करे जिससे जैन समाज पर प्रश्न चिन्ह लग जाये लेकिन ऐसा कार्य भी ना करे कि मंदिर मूर्तियां लुटती रहे और हम घर मे बैठे रहे।  इस धरने का रूप बढ़ेगा और सरकार स्वयं आकर सम्पूर्ण जैन समाज से माफी मांगेगी। यह आवाज इस हाल में ही नहीं अपितु संसद व विधानसभा में  भी गूंजना चाहिए। आप सब अपने-२ राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिलकर अपनी आवाज़ उठाइये, हर राज्य के अल्पसंख्यक आयोग में शिकायत दर्ज करवाइए फिर देखिये कैसे परिणाम नहीं निकलता।
इसमें पधारने वाले कुछ अतिविशेष लोगों में केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’, इस्लाम समाज के इमाम उमर अहमद इलियासी, अध्यक्ष-आल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन, ईसाई समाज के फादर डोमनिकजी, हिन्दू समाज के प्रज्ञानंद जी, सिख समाज से परमजीत सिंह जी, मुनि श्री नयपद्मसागर जी महाराज ससंघ एवं श्री लोकेश मुनि जी ससंघ शामिल थे, बहुत सारे गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित हुए।
इमाम उमर अहमद इलियासी ने कहा कि उप्र की राजधानी में दिन दहाड़े ५०० लोग इतना उत्पात मचाते रहे है और पुलिस ने कुछ नहीं किया। सरकार को कठोर कार्यवाही करनी होगी, मैं इस घटना की कड़ी निंदा करता हूँ। श्री प्रदीप आदित्य ने कहा मेरा झांसी मे एक कार्यक्रम था लेकिन जैसे ही इस धरने के बारे मे पता चला तो मैंने सोचा कि धर्म सबसे पहले है इसके बाद कुछ और। मैं अपनी ओर से पूरा दबाव बनाऊंगा ताकि मामले में शीघ्र कार्यवाही हो।
उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ से एक सांसद को भी भेजा, उन्होंने नयी प्रतिमा स्थापित करवाने और दोषियों को पकड़ने की मुहिम चलाने का आश्वासन दिया. 
मुनि श्री नयपद्मसागर जी महाराज - मुझे समझ में नहीं आता कि शांतिप्रिय जैन समाज को इस देश में  निशाना क्यों बनाया जा रहा है। हमारे मंदिरों  व मूर्तियों को नुकसान क्यों पहुंचाया जा रहा है? आज हमें पंथवाद से ऊपर उठकर धर्म की रक्षा के लिए आगे आना होगा।
कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पारस चैनल ने पूरे देश में दिखाया।
धरने में भारतवर्षीय श्री दिगम्बर जैन महासभा, अखिल भारतीय दिग. जैन परिषद, भारतीय जैन मिलन, अखिल भारतीय पुलक जन चेतना मंच, जैन महिला जागृति मंच, दिगम्बर जैन महासमिति, जैन मंच, पारस फांउडेशन, संस्कृति संरक्षण संस्थान, जैन युवा क्लब, पारस मंच, जैन शिक्षा समिति, विश्व ज्ञान भारती, रा। गौ रक्षा संगठन, जैन फाउन्डेशन एवं अन्य संस्थाओं का सहयोग प्राप्त हुआ।

मुनिश्री पुलक सागर का संबोधन
२३ अगस्त २०१२
जंतर-मंतर पर उपस्थित जिन भक्तों को मेरा आशीर्वाद ।
श्रावकों को विश्वमैत्री दिवस के अवसर पर संबोधित करते मुनि श्री पुलक सागर जि महाराज ने कहा “जो धर्म के मार्ग पर चलता है वह तोड़ने में नहीं जोड़ने पर विश्वास रखता है। हमारे अंदर किसी धर्म विशेष से द्वेष की भावना नहीं है, पर हमारे धर्मायतनों पर हमला हमें असहनीय है, हमें तो सरकार की चुप्पी कचोटती है और ऐसा लगता है कि इस घटना के पीछे कोई राजनैतिक साजिश है जो देश की एकता को अखंडता को नष्ट करना चाहते है।
उन्होंने कहा कि मैं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पूछना चाहता हूँ कि अगर तुम्हारे पिता का हाथ टूटा होता तो क्या तुम चुप बैठते? नहीं ना!
लखनऊ में केवल पत्थर की मूर्ति नहीं अपितु हमारे पिता, हमारे जनक भगवान महावीर स्वामी जिनकी हम पूजा करते है उनकी मूर्ति को तोड़ने का दुस्साहस जालिमों ने किया है। उन्होंने कहा कि खंडित मूर्ति की जगह सरकार द्वारा दूसरी मूर्ति लगा देने की मांग नहीं करता, जैन समाज स्वयं इतना सक्षम है कि वह कई मूर्तियां स्थापित कर सकता है।
हमारी माँग है कि हमारे तीर्थो की, हमारी मूर्तियों की रक्षा होनी चाहिए। भविष्य मे इस प्रकार की घटनाएं दोबारा ना हो इस बात का आश्वासन हमें चाहिए। सरकार को कठोर कदम उठाकर दोषियों को गिरफ्तार कर दंड देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम कोई अशांति नहीं फैलाएँगे, हम कोई हिंसा करने वाले नहीं, हम तो वो लोग हैं जब उठती है तो तलवार नहीं, करूणा की मयूर पिच्छी उठती है। लेकिन याद रखना कभी हमारे धर्मायतन पर आंच आती है तो हमारा समाज किसी के शीश नहीं काटता है अपितु अकलंक- निकलंक बनकर शीश कटाकर धर्म की रक्षा करता है। हमारी अहिंसा को कायरता ना समझा जाये। हमारी अहिंसा वीरो की अहिंसा होती है। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन तब तक रहेगा जब तक सरकार कोई ना कोई आधिकारिक वक्तव्य जारी ना कर दे। पूरे हिन्दुस्तान की भावनाएं आहत हुई है।
उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हम ऐसा कोई कार्य ना करे जिससे जैन समाज पर प्रश्न चिन्ह लग जाये लेकिन ऐसा कार्य भी ना करे कि मंदिर मूर्तियां लुटती रहे और हम घर मे बैठे रहे।  इस धरने का रूप बढ़ेगा और सरकार स्वयं आकर सम्पूर्ण जैन समाज से माफी मांगेगी। यह आवाज इस हाल में ही नहीं अपितु संसद व विधानसभा में  भी गूंजना चाहिए। आप सब अपने-२ राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिलकर अपनी आवाज़ उठाइये, हर राज्य के अल्पसंख्यक आयोग में शिकायत दर्ज करवाइए फिर देखिये कैसे परिणाम नहीं निकलता।
हर समस्या का समाधान अहिंसा ही है, इस सिद्धांत को कभी न भूले। अहिंसा में हमारे प्राण हैं, अहिंसा हमारा धर्म है, अहिंसा हमारी पहचान है व अहिंसा ही हमारी संस्कृति है। यह बात बिल्कुल सत्य है उत्तरी भारत व दक्षिणी भारत जैनियों की आस्थाओं के गढ़ रहे हैं। उत्तर भारत हमारे सम्पूर्ण तीर्थंकरो का जन्मदाता है तो दक्षिण भारत विश्व विख्यात अनूठी कृति गोम्मतेश्वर बाहुबली भगवान की शान से गौरवान्वित है।
आज दोनो ही प्रदेषों मे हमारी भावनाओं का कत्लेआम हुआ है। मोक्ष सप्तमी के दिन 25 जुलाई 2012 को जिला गुलबर्ग कर्नाटक के ग्राम अलूर मे समाजकंटको के द्वारा भगवान आदिनाथ  की 1000 वर्ष प्राचीन प्रतिमा को बारूद से उड़ाकर नष्ट कर दिया गया। 17 अगस्त 2012 को उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में दिन दहाडे़ महावीर पार्क में भगवान महावीर की प्रतिमा को पत्थरों के प्रहार से तोड़ा गया। शासन-प्रशासन मूकदर्शक  बना रहा क्यों ? आखिर क्यों ? प्रशासन ने अपराधियों को नहीं रोका? उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया? सुरक्षा कर्मियों को सस्पेंड क्यों नहीं किया? हमारी समाज की पीड़ाओं को क्यों  नजरअंदाज किया? अल्पसंख्यक जैनियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार ने क्यों  नहीं ली? सरकार ने गैर जिम्मेदाराना रवैया क्यों  अपनाया?
इन सभी प्रश्नों के लिए समाज यहां एकत्रित हुआ है। राज्य सरकार यदि मौन है तो केन्द्र सरकार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर राज्य सरकारो को आदेशित करे। हमारी आहत भावनाओं को पुनःस्थापित करे। अंत मे सभी श्रद्धालुओं से मेरा आग्रह होगा कि अपनी बात जैन धर्मानुसार शांतिप्रिय ढ़ंग से रखे। आपसी सौहार्द बनाये रखे जिससे देश की शांति भंग न हो।