गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश होने के
बावजूद जैन समाज
को गिरनार पर्वत पर सुरक्षा न देने की दोषी गुजरात सरकार
इस मुकदमे में लापरवाही बरतने हेतु भारतवर्षीय
दिग. जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के पदाधिकारिओं से स्पष्टीकरण का अनुरोध
बंधुओ! गिरनार पर्वत, शिखर जी के बाद एक महत्पूर्ण सिद्ध क्षेत्र
है! गिरनार पर्वत पर जैन समाज के स्वतंत्र रूप से पूजा करने और जैन समाज की पर्वत
पर सुरक्षा हेतु गुजरात उच्च न्यायालय में बांदीलालजी दिगम्बर जैन कारखाना, गिरनार द्वारा मुकदमा दायर
किया गया था! इस मुकदमे को वर्ष 2005 में तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने अपने
हाथ में ले लिया था! गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मुकदमे में 17 फरवरी 2005 को निम्न आदेश दिए थे:-
1. जिलाधिकारी 17 फरवरी 2005 से चार हफ्ते के अन्दर गिरनार पर्वत की चौथी और पांचवी टोंक के बीच में जाँच चौकी बनायेंगे जिससे पांचवी टोंक पर आने - जाने की समुचित व्यवस्था हो सकें और इस जाँच चौकी पर उचित पुलिस फोर्स लगायी जाएँ!
2. यदि किसी भी व्यक्ति द्वारा
चाहे वो नेमिनाथ का या दत्तात्रेय का मानने वाला हो या अन्य हो, के द्वारा किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज करायी जाती है
तो वह शिकायत 12 घंटें के अन्दर जिला पुलिस
सुपरिन्टेन्डेन्ट को भेजी जाये और शिकायत पर कानून के अनुसार कार्यवाही हों!
3. न्यायालय द्वारा तीन सदस्य कमेटी का गठन किया गया जिसमे गुजरात सरकार के
डिप्टी सेक्रेटरी, पुरातत्व विभाग और जिलाधिकारी को लिया गया, इस कमेटी को 17 अगस्त 2005 तक गिरनार पर्वत की पांचवी टोंक पर
जैन धर्मं और दत्तात्रय को मानने वालें दोनों उचित प्रकार से अपने - अपने
स्थान पर या पसंद के स्थान पर पूजा कर सकें, इस विषय में
अपनी रिपोर्ट देनी है!
परन्तु जूनागढ़ के जिलाधिकारी द्वारा गिरनार पर्वत
पर 17 मार्च 2005 से आज तक भी उचित पुलिस फोर्स की व्यवस्था नहीं की गयी और न ही उपरोक्त
कमेटी द्वारा 17 अगस्त 2005 से आज तक कोई
रिपोर्ट न्यायालय को दी गयी, जिससे न्यायालय अपना कोई निर्णय लेती! बंधुओं, निम्न विषयों को ध्यान से
पढ़ें :-
1. न्यायालय द्वारा जब 17 फरवरी 2005 को जिलाधिकारी को एक महीने
के अन्दर टोंक पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने को कहा गया था तो एक महीने बाद जिलाधिकारी द्वारा न्यायालय के आदेश का पालन न करने पर तीर्थ क्षेत्र कमेटी द्वारा न्यायालय को सूचित क्यों नहीं किया गया? साढ़े सात साल बाद 28
दिसम्बर 2012 को यह कार्यबाही क्यों की
गयी?
2. न्यायालय ने जब 17 अगस्त 2005 तक का समय न्यायालय द्वारा नियुक्त कमेटी को दिया
था तो इस कमेटी द्वारा समय पर रिपोर्ट न दिए जाने पर तीर्थ क्षेत्र कमेटी द्वारा न्यायालय अवमानना का मुकदमा क्यों नहीं दायर किया गया!
साढ़े सात साल बाद 28 दिसम्बर 2012 को यह कार्यबाही क्यों की गयी?
3. यह मुकदमा यह मानकर किया गया
की गिरनार पर्वत की टोंक / पर्वत पर जैन समाज का कोई मालिकाना अधिकार नहीं है,
जैन समाज को पूजा के अधिकार सुरक्षा के साथ चाहियें, जबकि जानकारी के अनुसार
गिरनार पर्वत जैन समाज का है! मुकदमे के अनुसार गिरनार की पांचवी टोंक पर स्थापित की गयी दत्तात्रेय की
मूर्ति और अवैध निर्माण को हटाया जाये क्युकी यह टोंक पुरातत्व विभाग के अंतर्गत
आती है, न कि यह जैन समाज
का सिद्ध क्षेत्र है!
4. तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने अपने मुकदमे में लिखा कि यदि न्यायालय दत्तात्रेय की मूर्ति और अवैध निर्माण को हटाना स्वीकार नहीं करती है तो न्यायालय जैन समाज के टोंक पर सुरक्षित तरीके से पूजा करने की व्यवस्था कराये! जबकि तीर्थ क्षेत्र कमेटी और महासभा के अध्यक्ष द्वारा जैन समाज की सभाओं में यह बताया जाता है कि न्यायालय ने मूर्ति हटाने के आदेश दे दिए है,सरकार पालन नहीं कर रही है!
4. तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने अपने मुकदमे में लिखा कि यदि न्यायालय दत्तात्रेय की मूर्ति और अवैध निर्माण को हटाना स्वीकार नहीं करती है तो न्यायालय जैन समाज के टोंक पर सुरक्षित तरीके से पूजा करने की व्यवस्था कराये! जबकि तीर्थ क्षेत्र कमेटी और महासभा के अध्यक्ष द्वारा जैन समाज की सभाओं में यह बताया जाता है कि न्यायालय ने मूर्ति हटाने के आदेश दे दिए है,सरकार पालन नहीं कर रही है!
5. न्यायालय ने पॉइंट न. 8 पर लिखा कि यह जगह गुजरात पुरातत्व अधिसूचना के अंतर्गत 'गुरु दत्तात्रेय टुंक' नाम से अंकित है और यदि
जैन याचिकाकर्ता मूर्ति और चरण चिन्हों को भगवान आदिनाथ के होने का दावा
करता है तो इस विषय में उचित जानकारी हेतु जाच-पड़ताल करायी जाएँ,
इसका अर्थ तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने ऐसा
कोई दावा पेश ही नहीं किया!
6. न्यायालय ने पॉइंट न. 10 पर लिखा कि जैन याचिकाकर्ता ने यह याचिका इसलिए लगाई है कि सरकार द्वारा संरक्षित इस पुरातत्व महत्व के स्मारक की देख-रेख ठीक प्रकार से नहीं की जा रही है, इसीलिए भगवान दत्तात्रेय और निर्माण को हटाने सम्बन्धी निर्देश देने उचित नहीं होंगे!
6. न्यायालय ने पॉइंट न. 10 पर लिखा कि जैन याचिकाकर्ता ने यह याचिका इसलिए लगाई है कि सरकार द्वारा संरक्षित इस पुरातत्व महत्व के स्मारक की देख-रेख ठीक प्रकार से नहीं की जा रही है, इसीलिए भगवान दत्तात्रेय और निर्माण को हटाने सम्बन्धी निर्देश देने उचित नहीं होंगे!
आखिर क्यों?:-
1.
तीर्थ-क्षेत्र कमेटी ने जैन धर्मं के अति-प्राचीन सिद्ध
क्षेत्र गिरनार पर्वत होने से सम्बंधित सबूतों आदि का समावेश मुकदमे में ठीक
प्रकार से क्यों नहीं किया?, क्युकी जहा तक जानकारी है दत्तात्रेय से सम्बंधित कोई भी प्राचीन
शिलालेख या मूर्ति गिरनार पर्वत से प्राप्त नहीं हुई है, जबकि गिरनार पर्वत
के जैन धर्मं से सम्बंधित कई प्राचीन शिलालेख सरकारी रूप से उपलब्ध है!
2.
सुरक्षा सम्बन्धी न्यायालय के आदेशों का जिलाधिकारी द्वारा सख्ती से पालन न करने पर
अवमानना का मुकदमा क्यों 2005 में दायर नहीं किया गया?
3.
न्यायालय ने पॉइंट न. 6 पर लिखा कि पुरातत्व विभाग ने माना कि टोंक पर दत्तात्रेय की मूर्ति
पहले थी लेकिन अब केवल मूर्ति को बदला गया है और केवल कुछ परिवर्तनों के साथ निर्माण की अनुमति दी
गयी!
(कभी ऐसा होता है क्याकि पुरातत्व महत्व के स्मारक में पूजा करने हेतु मूर्ति को बदला जाता है, नए निर्माण कि स्वीकृति दी जाती है!
(कभी ऐसा होता है क्याकि पुरातत्व महत्व के स्मारक में पूजा करने हेतु मूर्ति को बदला जाता है, नए निर्माण कि स्वीकृति दी जाती है!
4.
यदि गुजरात सरकार के सम्बंधित विभाग और हमारी तीर्थ-क्षेत्र कमेटी समय रहते
बिना लापरवाही के कदम उठा लेती तो शायद जो आज गिरनार पर्वत पर जैन संतो और जैन
समाज के साथ दुर्व्यवहार और जानलेवा हमले न होते.. समय रहते सुप्रीम न्यायालय में अपील क्यों नहीं दायर की गयी?
5.
हम अपनी तीर्थ क्षेत्र कमेटी से विनती करते है कि
तीर्थ-क्षेत्र कमेटी इस विषय में अपना स्पष्टीकरण दे?
विशेष:-
जुलाई 2007 में अखिल भारतीय दिग. जैन परिषद् द्वारा अपनी 'वीर' पत्रिका के पेज न. 4 पर गिरनार जी पर विधव्न्शक प्रवृति से निबटने और चल रही क़ानूनी लड़ाई हेतु ''श्री गिरनारजी तीर्थ राष्ट्र स्तरीय एक्शन कमेटी '' का गठन किया था और इस विषय में मुक्त हस्त से दान देने की अपील की थी! कृपया परिषद् भी जानकारी दे कि इस कमेटी में कौन लोग है और अब तक क्या कार्यवाही की गयी?
विशेष:-
जुलाई 2007 में अखिल भारतीय दिग. जैन परिषद् द्वारा अपनी 'वीर' पत्रिका के पेज न. 4 पर गिरनार जी पर विधव्न्शक प्रवृति से निबटने और चल रही क़ानूनी लड़ाई हेतु ''श्री गिरनारजी तीर्थ राष्ट्र स्तरीय एक्शन कमेटी '' का गठन किया था और इस विषय में मुक्त हस्त से दान देने की अपील की थी! कृपया परिषद् भी जानकारी दे कि इस कमेटी में कौन लोग है और अब तक क्या कार्यवाही की गयी?
6.
यदि आपको ऊपर लिखे किसी भी शब्द से आपत्ति है तो मै आपसे क्षमा मांगता हू..
परन्तु कुछ लोगो की लापरवाही से सारे विश्व के जैन समाज की आस्था के केंद्र गिरनार
पर्वत को लुटते नहीं देखा जा सकता! प्रयास करना सबका काम है, सफलता / असफलता बाद का विषय
है! तीर्थों / संतो / समाज का संरक्षण सर्वप्रथम आवश्यक है!
गिरनार हमारा था, है और हमेशा रहेगा>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>जय जिनेन्द्र
संजय जैन मो. 09312278313 e-mail : vishwajains@yahoo.com
संजय जैन मो. 09312278313 e-mail : vishwajains@yahoo.com
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